बांग्लादेशी टीम को पहले टेस्ट में साढ़े तीन दिन में हराकर, भारतीय टीम ने बांग्लादेश के सामने रनो के मुक़ाबले अपनी सबसे बड़ी टेस्ट जीत दर्ज़ कर ली। इस मैच में कई इंडिविजुअल रिकार्ड्स भी बने। आर आश्विन अपने शानदार ऑल राउंड परफॉरमेंस के चलते प्लेयर ऑफ़ द मैच चुने गए। पहले पारी में उन्होंने टीम को मुश्किल परिस्थिति से निकालते हुए 113 रन बनाये और फिर बांग्लादेश की दूसरी पारी में 88 रन खर्च कर 6 विकेट्स ले लिए। इसमें उन्होंने अपने टेस्ट करियर का 37 वा 5 विकेट हॉल लिया और ऑस्ट्रेलिआई लेजेंड शेन वार्न की बराबरी कर ली। भारत ने ये मैच 280 रनो से जीत लिया।
इस जीत के तुरंत बाद BCCI की मीडिया एडवाइजरी जारी हुई, जिसमे बिना किसी बदलाव के दूसरे टेस्ट के लिए उसी स्क्वाड को रिटेन कर लिया गया। दूसरा टेस्ट 27 तारिक से कानपूर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में खेला जाएगा। इस ग्राउंड का हाल भी कुछ कुछ चेन्नई के चेपॉक जैसा ही है। मौसम के हिसाब से भी उमस काफी है और पिच के कंडीशंस भी एक जैसे ही है। वैसे कानपूर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में पिछले 16 सालो में सिर्फ 4 टेस्ट मैच ही हुए है, इनमे तीन मैच भारत जीता है तो एक मैच ड्रॉ रहा है।
दूसरे टेस्ट से पहले एक सवाल ये उठता है की, क्या रोहित शर्मा और गौतम गंभीर प्लेइंग इलेवेन में कोई बदलाव करेंगे। ये सवाल इसलिए भी है, क्युकी इस सीरीज के तुरंत बाद भारत को न्यू ज़ीलैण्ड से तीन और फिर ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर गावस्कर सीरीज के लिए 5 टेस्ट मैच खेलने होंगे। जहाँ से वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का रास्ता भी तय करना है, और वहां के कंडीशंस पेस बोलर्स को ज़्यादा मदद करेंगे। वैसे पहले टेस्ट में जसप्रीत बुमराह, आकाश दीप और मोहम्मद सिराज ने बांग्लादेशी बल्लेबाज़ों को खूब सताया। लेकिन रोहित शर्मा और गौतम गंभीर दोनों आनेवाले बॉर्डर गावस्कर सीरीज को ध्यान में ज़रूर रखेंगे, हाला की पहले ही रोहित शर्मा ने ये क्लियर किया है की वो बांग्लादेशी सीरीज को ऑस्ट्रेलियन सीरीज के लिए कोई रिहर्सल नहीं समझेंगे बल्कि इसे भी उतना ही इम्पोर्टेन्स देंगे।
लेकिन बात तो, ये भी सब जानते है की ऑस्ट्रेलियन सीरीज के लिए भारत को अपनी पेस बोलिंग में ज़्यादा से ज़्यादा विकल्प रखना होगा। और इसीलिए यश दयाल भी टेस्ट स्क्वाड का हिस्सा है, ताकि उन्हें थोड़ा मैच टाइम मिल जाए। ऐसा है, तो इसमें कोई सरप्राइज की बात नहीं होगी अगर यश दयाल दूसरे मैच में प्लेइंग इलेवेन का हिस्सा बनते है तो। उन्हें मौका देना इसलिए भी सही होगा क्युकी भारत को इस समय सबसे ज़्यादा ज़रूरत लेफ्ट आर्म पेसर की है। ज़हीर खान के बाद से कोई लेफ्ट आर्म पेसर लम्बे समाये तक टीम में नहीं रहा। ऑस्ट्रेलिया में हुए पिछले बॉर्डर गावस्कर सीरीज में नटराजन एक लेफ्ट आर्म पेसर ज़रूर थे, उस ऐतहासिक सीरीज जीत में काफी सफल भी हुए,लेकिन कंसिस्टेंसी नहीं रख पाए।
गेंद को दोनों तरफ स्विंग कराने की यश दयाल की काबिलियत और उसके साथ तेज़ बाउंसर और यॉर्कर और अभी कई वैरिएशंस। और उनकी रेगुलरली 135-140 की रफ़्तार वाली गेंद बॉर्डर गावस्कर सीरीज के लिए भारत के तुरुप का एक्का साबित हो सकता है। और जो की मोहम्मद शमी अभी NCA में अपने रिहैबिलिटेशन के आखरी दौर में है और शायद न्यू ज़ीलैण्ड सीरीज के लिए वो अगर अवेलेबल भी हो जाते है तो, भारत को अपनी पेस बोलिंग और मज़बूत करने का मौका भी मिल जाएगा।
400 विकेट्स पुरे कर बुमराह बन गए भारत के छटवे तेज़ गेंदबाज़।
यश दयाल का घरेलु फर्स्ट क्लास करियर : यश दयाल ने अपने फर्स्ट क्लास करियर के 24 मैचों के 44 पारियों में 29 के एवरेज से 76 विकेट्स लिए है। इसमें उनका इकॉनमी 2.98 का रहा है।